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वाह पुण्यशाली, “चढ़ावा” आपने लिया ? अनुमोदना ! पर एक निवेदन भी …

Pratik Chourdia by Pratik Chourdia
February 19, 2022
in जैन जानकारी
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XX मण एक बार, XX मण दौ बार और XX मण तीन बार .. बोलो जिन शासन देव की जय ! पुण्यों के उदय से अपने अर्जित धन का सदुपयोग आप में से कई भाग्यशाली चढ़ावा लेकर करते हैं | जैनज्ञान की और से आपकी अनुमोदना साथ ही एक निवेदन है की निम्न दी गयी थोड़ी सी सावधानी से आप लिए गए चढ़ावे का पूरा पुण्य अर्जित कर सकते हैं और अकारण होने वाले देव द्रव्य सम्बन्धी पाप / आसातना से बच सकते हैं –

चढ़ावो की रकम जल्द से जल्द भरनी चाहिए और देव द्रव्य के भक्षण के दोष से बचना चाहिए।

चढ़ावा शब्द जैनों में बहुत ही प्रचलित शब्द है कोई भी प्रतिष्ठा अंजनशलाका उपाश्रय आयम्बीलशाला धर्मशाला का नामकरण हो या भगवान की पहली पूजा की दैनिक क्रिया हो वहा चढ़ावा आता ही है। जब एक से अधिक व्यक्ति या व्यक्तिओ का मेलावड़ा हो तब पहले पूजा कौन करे या कोई भी धार्मिक जो नाम उपर दिए गये है किसके नाम या कौन उदघाटन करे तब इसके निराकरण करने हेतु चढ़ावे की प्रक्रिया अस्तित्व में आई। जिसके कारण देव्द्र्व्य साधारण खाते में भी द्रव्य की वृद्धि हो जो रकम आगे जीणोद्धार में और धार्मिक उपक्रमों की व्यवस्थाओ के काम में आये।

अब सवाल आता है चढ़ावो की रकम कब भरनी चाहिए ? तो शास्त्रों में निर्देश दिया गया है की चढ़ावा बोलने के बाद तुरंत रकम संघ के पेढ़ी पर भर देनी चाहिए या फिर संघ द्वारा रकम भरने की जैसी व्यवस्था रखी हो उस मुताबिक भरनी चाहिए। उसके पीछे यह कारण दिया जाता है की जीवन का कोई भरोसा नही है यदि उस व्यक्ति द्वारा समय और नही भरी जाये इसी बिच उसकी मौत हो जाये या खराब कर्म के उदय के कारण उसकी आर्थिक परिस्थिति बिगड़ जाये और चढ़ावे की रकम भरने में असमर्थ हो जाये तो आशातना भी होती है और भव भ्रमण बढ़ जाता है।

इसी प्रकार ज्यादा चढ़ावा लेने के लिए रकम भुगतान करने के लिए हफ्ता सिस्टम भी रखते है जिसके तहत 2 से 3 साल तक के बिच रकम भरना यह बात व्यवहारिक नही लगती है क्योंकि वो ही बात फिर उपस्थित हो जाती है की वर्तमान में जो स्थिति है वैसी ही स्थिति मुद्दत पूरी होने के बाद रहेगी की नही अन्यथा देव द्रव्य की रकम भक्षण का पाप लगता है और भव बढ़ाने का कारण होता है।

विशेष – जैन इतिहास में इस चढ़ावे के बारे में पेथडशाह को बात आती है की गिरनार पर ध्वजा चढाने के लिए हजारो सुर्वण मोहरो का चढ़ावा बोला रकम नही भरी तब तक उन्होंने पानी तक नहीं पिया।

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