WhatsaApp
जैन ज्ञान | Digital World of Jainism
No Result
View All Result
जैन ज्ञान | Digital World of Jainism

वाह पुण्यशाली, “चढ़ावा” आपने लिया ? अनुमोदना ! पर एक निवेदन भी …

Pratik Chourdia by Pratik Chourdia
June 11, 2016
in जैन जानकारी
0
47
SHARES
127
VIEWS
Share on Facebook

XX मण एक बार, XX मण दौ बार और XX मण तीन बार .. बोलो जिन शासन देव की जय ! पुण्यों के उदय से अपने अर्जित धन का सदुपयोग आप में से कई भाग्यशाली चढ़ावा लेकर करते हैं | जैनज्ञान की और से आपकी अनुमोदना साथ ही एक निवेदन है की निम्न दी गयी थोड़ी सी सावधानी से आप लिए गए चढ़ावे का पूरा पुण्य अर्जित कर सकते हैं और अकारण होने वाले देव द्रव्य सम्बन्धी पाप / आसातना से बच सकते हैं –

चढ़ावो की रकम जल्द से जल्द भरनी चाहिए और देव द्रव्य के भक्षण के दोष से बचना चाहिए।

चढ़ावा शब्द जैनों में बहुत ही प्रचलित शब्द है कोई भी प्रतिष्ठा अंजनशलाका उपाश्रय आयम्बीलशाला धर्मशाला का नामकरण हो या भगवान की पहली पूजा की दैनिक क्रिया हो वहा चढ़ावा आता ही है। जब एक से अधिक व्यक्ति या व्यक्तिओ का मेलावड़ा हो तब पहले पूजा कौन करे या कोई भी धार्मिक जो नाम उपर दिए गये है किसके नाम या कौन उदघाटन करे तब इसके निराकरण करने हेतु चढ़ावे की प्रक्रिया अस्तित्व में आई। जिसके कारण देव्द्र्व्य साधारण खाते में भी द्रव्य की वृद्धि हो जो रकम आगे जीणोद्धार में और धार्मिक उपक्रमों की व्यवस्थाओ के काम में आये।

अब सवाल आता है चढ़ावो की रकम कब भरनी चाहिए ? तो शास्त्रों में निर्देश दिया गया है की चढ़ावा बोलने के बाद तुरंत रकम संघ के पेढ़ी पर भर देनी चाहिए या फिर संघ द्वारा रकम भरने की जैसी व्यवस्था रखी हो उस मुताबिक भरनी चाहिए। उसके पीछे यह कारण दिया जाता है की जीवन का कोई भरोसा नही है यदि उस व्यक्ति द्वारा समय और नही भरी जाये इसी बिच उसकी मौत हो जाये या खराब कर्म के उदय के कारण उसकी आर्थिक परिस्थिति बिगड़ जाये और चढ़ावे की रकम भरने में असमर्थ हो जाये तो आशातना भी होती है और भव भ्रमण बढ़ जाता है।

इसी प्रकार ज्यादा चढ़ावा लेने के लिए रकम भुगतान करने के लिए हफ्ता सिस्टम भी रखते है जिसके तहत 2 से 3 साल तक के बिच रकम भरना यह बात व्यवहारिक नही लगती है क्योंकि वो ही बात फिर उपस्थित हो जाती है की वर्तमान में जो स्थिति है वैसी ही स्थिति मुद्दत पूरी होने के बाद रहेगी की नही अन्यथा देव द्रव्य की रकम भक्षण का पाप लगता है और भव बढ़ाने का कारण होता है।

विशेष – जैन इतिहास में इस चढ़ावे के बारे में पेथडशाह को बात आती है की गिरनार पर ध्वजा चढाने के लिए हजारो सुर्वण मोहरो का चढ़ावा बोला रकम नही भरी तब तक उन्होंने पानी तक नहीं पिया।

अपने विचार व्यक्त करे

Advertisement Banner
Pratik Chourdia

Pratik Chourdia

Related Posts

जैन जानकारी

स्वप्न विचार  – स्वप्न फल – जानिए कब कैसे और किसे मिलता है

May 16, 2020
जैन जानकारी

धन्य त्रियोदशी – जैन धनतेरस

December 10, 2019
जैन जानकारी

जुड़िये हमारे व्हाट्सएप मेसेज अलर्ट से …

September 2, 2017

Trending

जैन जानकारी

स्वप्न विचार  – स्वप्न फल – जानिए कब कैसे और किसे मिलता है

8 months ago
जैन कहानियां

सहायता ही धर्म है

3 years ago
जैन जानकारी

धन्य त्रियोदशी – जैन धनतेरस

3 years ago
जैन जानकारी

जुड़िये हमारे व्हाट्सएप मेसेज अलर्ट से …

3 years ago
जैन कहानियां

ऋषभकुमार का राज्याभिषेक

4 years ago
जैन ज्ञान | Digital World of Jainism

जैन समाज एक समुदाय है विशिष्ट वर्ग के लोगो का जो अहिंसा, तप, क्षमा, ज्ञान की तपोभूमि पर निवास करते है ! जैन ज्ञान के द्वारा हम छोटा सा प्रयास कर रहे है इस तपोभूमि के कुछ सुगन्धित पुष्प आप तक पहुचाने का और हमारी कामना है की आपका पूरा सहयोग हमे निरंतर मिलता रहेगा !

Follow Us

Recent News

स्वप्न विचार  – स्वप्न फल – जानिए कब कैसे और किसे मिलता है

May 16, 2020

सहायता ही धर्म है

October 21, 2017

Categories

  • जैन कहानियां
  • जैन जानकारी
  • जैन तीर्थ
  • जैन दर्शन
  • जैन सुविचार

Tags

jain chatumass jain chomasa Jain Diksha Jain Monks Jain Sadhu jain tirthankar चौमासा जैन चातुर्मास
  • Home
  • जैन तीर्थ
  • जैन जानकारी
  • जैन कहानियां
  • जैन दर्शन
  • जैन सुविचार

© 2020 JainGyan - theme by Parshva Web Solution.

No Result
View All Result
  • Home
  • जैन तीर्थ
  • जैन जानकारी
  • जैन कहानियां
  • जैन दर्शन
  • जैन सुविचार

© 2020 JainGyan - theme by Parshva Web Solution.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Create New Account!

Fill the forms bellow to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In