WhatsaApp
जैन ज्ञान | Digital World of Jainism
No Result
View All Result
जैन ज्ञान | Digital World of Jainism

सहायता ही धर्म है

Prashant Chourdia by Prashant Chourdia
February 19, 2022
in जैन कहानियां
0
575
SHARES
2.4k
VIEWS
Share on Facebook

एक बार कुछ विदेशी यात्री भारत भ्रमण के लिए आए। उन्होंने भारत के अनेक धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्थलों का भ्रमण किया।

भ्रमण करते-करते एक दिन वे एक महात्मा के पास पहुँचे। महात्मा ध्यान मग्न थे। उनके सामने बहुत से साधक बैठे हुए थे। वे यात्री भी वहीं बैठ गए। कुछ समय बाद महात्मा ने अपनी आँखें खोली और सामने बैठे लोगों को देखा। इसके बाद कुछ साधकों ने अपनी-अपनी जिज्ञासाएं महात्मा के समक्ष रखी। महात्मा ने उन सभी जिज्ञासाओं का समाधान बड़ी ही शान्त मुद्रा में उनको बताया।

यह देखकर उन विदेशी यात्रियों के मन में भी जिज्ञासा उत्पन्न हुई और उन्होंने भी अपनी जिज्ञासा प्रकट की। उन्होंने कहा महात्मा जी! हम पिछले कई दिनों से भारत-भ्रमण कर रहे हैं, जहाँ भी जाते हैं वहाँ पर लोगों के मुख से यही सुनते हैं कि धर्म करना चाहिए, धर्म ही सब कुछ है इसके अतिरिक्त कुछ नहीं, लेकिन हमारे यहाँ तो ये धर्म नाम की कोई चीज होती ही नहीं तो बताइए पिफर भला हम इसे वैफसे करें?

यह सुनकर महात्मा मन्द-मन्द मुस्कुराए, पिफर बोले– ऐसा नहीं हो सकता, ऐसी तो इस सृष्टि में कोई जगह ही नहीं है, जहाँ धर्म नहीं हो। शायद तुम्हें कोई भ्रम है।

इसके बाद महात्मा बोले– अच्छा आप मुझे एक बात बताइए, अगर आप कहीं जा रहे हों, और आपके सामने कोई दुर्घटना हो जाए, किसी व्यक्ति को चोट लग जाए, उसका रक्त बहने लगे तो आप क्या करेंगे?

महात्मा की बात सुनकर यात्री बोले– सर्वप्रथम हम उसका उपचार करेंगे, उसको चिकित्सालय पहुँचाएंगे, उसके घरवालों को सूचना देंगे और उससे सम्बन्धित जो भी आवश्यक कार्य होगा वो सब करेंगे।

यह सुनकर महात्मा बोले– यही तो धर्म है। और धर्म क्या है? सबसे बड़ा धर्म यही है।

यह सुनकर यात्री बोले– लेकिन, हमारे यहाँ तो इसे HELP (सहायता) कहते हैं। पर अब समझ में आ गया कि सहायता ही धर्म होता है। और वे सब प्रसन्न मन से अपने गन्तव्य की ओर प्रस्थान कर गये।

इस प्रसंग से हमें यह प्रेरणा लेनी चाहिए कि सबसे बड़ा धर्म होता है, प्राणीमात्रा की सहायता करना। कहा भी जाता है कि-

कृतिनोऽपि प्रतीक्षन्ते सहायं कार्यसिद्धये।
चक्षुष्मानपि नालोकाद्विना वस्तूनि पश्यति।।

अर्थात् चतुर व्यक्ति भी कार्य को सिद्ध करने के लिए सहायक की अपेक्षा रखता है। आँख वाला व्यक्ति भी प्रकाश के बिना पदार्थों को नहीं देख पाता है।

अपने विचार व्यक्त करे

Advertisement Banner
Prashant Chourdia

Prashant Chourdia

Related Posts

जैन कहानियां

ऋषभकुमार का राज्याभिषेक

February 19, 2022
जैन कहानियां

दृष्टिकोण बदलना जरुरी

February 19, 2022
जैन कहानियां

जैन कहानी – दान की महिमा

February 19, 2022

Trending

Uncategorized

d32bbec15162f11bfd8201048c9eed4e

2 weeks ago
Uncategorized

d32bbec15162f11bfd8201048c9eed4e

2 weeks ago
Uncategorized

Archived

2 months ago
जैन जानकारी

स्वप्न विचार  – स्वप्न फल – जानिए कब कैसे और किसे मिलता है

3 years ago
जैन कहानियां

सहायता ही धर्म है

5 years ago
जैन ज्ञान | Digital World of Jainism

जैन समाज एक समुदाय है विशिष्ट वर्ग के लोगो का जो अहिंसा, तप, क्षमा, ज्ञान की तपोभूमि पर निवास करते है ! जैन ज्ञान के द्वारा हम छोटा सा प्रयास कर रहे है इस तपोभूमि के कुछ सुगन्धित पुष्प आप तक पहुचाने का और हमारी कामना है की आपका पूरा सहयोग हमे निरंतर मिलता रहेगा !

Follow Us

Recent News

d32bbec15162f11bfd8201048c9eed4e

March 17, 2023

d32bbec15162f11bfd8201048c9eed4e

March 17, 2023

Categories

  • Uncategorized
  • जैन कहानियां
  • जैन जानकारी
  • जैन तीर्थ
  • जैन दर्शन
  • जैन सुविचार

Tags

jain chatumass jain chomasa Jain Diksha Jain Monks Jain Sadhu jain tirthankar चौमासा जैन चातुर्मास
  • Home
  • जैन तीर्थ
  • जैन जानकारी
  • जैन कहानियां
  • जैन दर्शन
  • जैन सुविचार

© 2020 JainGyan - theme by Parshva Web Solution.

No Result
View All Result
  • Home
  • जैन तीर्थ
  • जैन जानकारी
  • जैन कहानियां
  • जैन दर्शन
  • जैन सुविचार

© 2020 JainGyan - theme by Parshva Web Solution.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Create New Account!

Fill the forms bellow to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In