WhatsaApp
जैन ज्ञान | Digital World of Jainism
No Result
View All Result
जैन ज्ञान | Digital World of Jainism

देवगति के दुःख

Prashant Chourdia by Prashant Chourdia
February 19, 2022
in जैन जानकारी
0
452
SHARES
1.4k
VIEWS
Share on Facebook

आज के इस युग में अधिकांश लोग यह मानते हैं कि देव गति में सुख ही सुख होते हैं और अधिकांश लोग देव गति प्राप्त करने की चेष्टा करते है। लेकिन बात इतनी सीधी नहीं होती है. यह सच है कि देवगति में यद्यपि शारीरिकि कष्ट नही रहते हैं, किन्तु मानसिक कष्ट बहुत-बहुत ज्यादा होते हैं। देवों में छोटी-बड़ी बहुत सी पदवियां होती हैं, विभूतियां होती हैं और उनकी सम्पदा और सुख की सामग्री भी सम्यकद्रष्टि देवों से बहुत ही ज्यादा कम होती हैं.

देवों के निम्नलिखित दस जाति, वर्ग या पदवी या दरजे होते है –

  1. राजा के समान इन्द्र-देव
  2. पिता, गुरु या उपाध्याय के समान सामानिक-देव
  3. मंत्री, पुरोहित के समान त्रायस्त्रिंश-देव
  4. सभा सदस्य, सभासद, मित्र और परिजन के समान पारिषद-देव
  5. इन्द्र के पीछे अंगरक्षक के सामान खड़े होने वाले आत्मरक्ष-देव
  6. कोतवाल के समान लोकपाल-देव
  7. सात प्रकार की सेना बनने वाले अनीक-देव
  8. नगरवासी या प्रजा के समान प्रकीर्णक-देव
  9. हाथी, घोड़ा आदि वाहन बनने वाले आभियोग्य-देव
  10. कांतिहीन क्षुद्र या निम्न श्रेणी के चाण्डाल आदि के समान किलिवष्क-देव

हमारे समान ही इन दस जातियो के देवों में भी अनेक भेद-प्रभेद होते हैं. कई नीची जाति या पदवी वाले देव उच्च जाति के सम्यकद्रष्टि देवों के वैभवों को देखकर अपने मन में बड़ा र्इर्षाभाव रखते हैं और जलते रहते हैं।

इन सभी देवों को भोग-सामग्री तो बहुत सी होती है, किन्तु एक समय एक ही इन्द्रिय द्वारा भोग हो सकता है। लेकिन उनकी इच्छा यह होती है कि पाँचों इन्द्रियो के सभी वैभवों को हर समय एक साथ भोगूँ, लेकिन इस तरह से सभी वस्तुओं को एक साथ भोगने की शक्ति न होने पर दुःख और आकुलता होती रहती है.

जैसे किसी के सामने पचास प्रकार की मिठार्इ परोसी जावे, तब वह बार-बार घबड़ाता है कि किसे खाऊँ, किसे न खाऊँ, साथ ही वह यह चाहता है कि मैं सबको एक साथ भोगूँ। ऐसी शक्ति न होने पर वह दु:खी होता रहता है।

इस तरह देवलोक के सभी मिथ्याद्रष्टि देव मन में अत्यंत दुखी और क्षोभित होकर कष्ट पाते हैं। जब उनकी किसी देवी का मरण होता है, तब इष्टवियोग का दु:ख होता है। जब अपना मरण काल आता है, तब वियोग का बड़ा दु:ख होता है. देवों को सबसे अधिक कष्ट मानसिक तृष्णा का होता है। अधिक भोग करते हुए भी उनकी इच्छा बहुत बढ़ जाती है। तिर्यंच और मनुष्य कुछ दान, पूजा, परोपकार आदि शुभ भावो को भाकर पुण्यबंध करके देव होते है; परन्तु मिथ्यादर्शन के होने से वे अत्यंत ही पीड़ित रहकर मानसिक कष्ट में ही जीवन बिताते हैं।

देखो भाई, शरीर को ही अपना जानना और मानना, इन्द्रिय सुख को ही सच्चा सुख समझना, अपनी आत्मा के अतीन्द्रिय सुख पर विश्वास न होना ही मिथ्यादर्शन कहलाता है और यह भी सच है कि मिथ्याद्रष्टि जीव हर जगह यहाँ तक कि देव गति में भी दु:खी ही रहता है, क्योकि वह इच्छा की दाह की आग से सदाकाल पूरी उम्र भर व्याकुल और पीड़ित ही रहता है।

इसीलिये देव गति में मनुष्य गति से भी कई गुने ज्यादा दुःख होते हैं. फिर भी कई लोग मनुष्य गति में रहते हुए देव गति की इच्छा करते हैं, जो कि बड़ा आश्चर्यजनक है।

अपने विचार व्यक्त करे

Advertisement Banner
Prashant Chourdia

Prashant Chourdia

Related Posts

जैन जानकारी

स्वप्न विचार  – स्वप्न फल – जानिए कब कैसे और किसे मिलता है

February 19, 2022
जैन जानकारी

धन्य त्रियोदशी – जैन धनतेरस

February 19, 2022
जैन जानकारी

जुड़िये हमारे व्हाट्सएप मेसेज अलर्ट से …

February 19, 2022

Trending

Uncategorized

Archived

1 week ago
जैन जानकारी

स्वप्न विचार  – स्वप्न फल – जानिए कब कैसे और किसे मिलता है

3 years ago
जैन कहानियां

सहायता ही धर्म है

5 years ago
जैन जानकारी

धन्य त्रियोदशी – जैन धनतेरस

5 years ago
जैन जानकारी

जुड़िये हमारे व्हाट्सएप मेसेज अलर्ट से …

5 years ago
जैन ज्ञान | Digital World of Jainism

जैन समाज एक समुदाय है विशिष्ट वर्ग के लोगो का जो अहिंसा, तप, क्षमा, ज्ञान की तपोभूमि पर निवास करते है ! जैन ज्ञान के द्वारा हम छोटा सा प्रयास कर रहे है इस तपोभूमि के कुछ सुगन्धित पुष्प आप तक पहुचाने का और हमारी कामना है की आपका पूरा सहयोग हमे निरंतर मिलता रहेगा !

Follow Us

Recent News

Archived

February 3, 2023

स्वप्न विचार  – स्वप्न फल – जानिए कब कैसे और किसे मिलता है

February 19, 2022

Categories

  • Uncategorized
  • जैन कहानियां
  • जैन जानकारी
  • जैन तीर्थ
  • जैन दर्शन
  • जैन सुविचार

Tags

jain chatumass jain chomasa Jain Diksha Jain Monks Jain Sadhu jain tirthankar चौमासा जैन चातुर्मास
  • Home
  • जैन तीर्थ
  • जैन जानकारी
  • जैन कहानियां
  • जैन दर्शन
  • जैन सुविचार

© 2020 JainGyan - theme by Parshva Web Solution.

No Result
View All Result
  • Home
  • जैन तीर्थ
  • जैन जानकारी
  • जैन कहानियां
  • जैन दर्शन
  • जैन सुविचार

© 2020 JainGyan - theme by Parshva Web Solution.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Create New Account!

Fill the forms bellow to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In